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Crude Oil: ‘रूसी कच्चे तेल की खरीद सरकार से सरकार ढांचे के तहत नहीं’, पुतिन-मोदी की बैठक से पहले सरकार का बयान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्बेकिस्तान की एक दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए गए हैं। वे कल यानी शुक्रवार को समरकंद शहर में आयोजित शंघाई शिखर सम्मेलन (SCO Summit) में शिरकत करेंगे। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने गुरुवार को पीएम मोदी की उज्बेकिस्तान यात्रा का विवरण साझा किया। इस दौरान विदेश सचिव ने रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर कहा कि भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद किसी सरकार से सरकार के ढांचे के तहत नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय कंपनियां बाजार से कच्चे तेल की खरीदारी करती  हैं। और रूस से हुई डील इसी के तहत थी।

इस दौरान उन्होंने रूसी तेल पर प्रस्तावित मूल्य सीमा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हमने कई बार यह कहा है कि जब भारतीय कंपनियां बाहर जाती हैं तो वे भारत की ऊर्जा सुरक्षा की जरूरतों के लिए  तेल की खरीद करने की कोशिश करती हैं। उन्होंने आगे कहा हम जी-7 देशों के समूह में नहीं है। ऐसे में वे अनिवार्य रूप से बाजार से खरीद भी कर सकती हैं। दरअसल, जी-7 देश रूसी तेल पर मूल्य सीमा लागू करना चाहते हैं और वे इसके लिए लगातार भारत के समर्थन के लिए उसकी ओर देख रहे हैं।

पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। इस दौरान सम्मेलन से इतर उनके और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच भी एक बैठक भी होगी। क्वात्रा ने कहा कि एससीओ शिखर सम्मेलन में सामयिक, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के अलावा एससीओ के सुधार और विस्तार, सुरक्षा की स्थिति, क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी मजबूत करने और व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी।

गौरतलब है कि अप्रैल के बाद से रूस से भारत द्वारा कच्चे तेल की खरीद 50 गुना से अधिक बढ़ गई है। अब यह विदेशों से खरीदे गए सभी कच्चे तेल का 10 प्रतिशत हो गई है। वहीं, यूक्रेन युद्ध से पहले यह खरीद केवल 0.2 प्रतिशत थी। दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देश रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में धीरे-धीरे कमी ला रहे हैं।

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