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प्रदेश के नौ लाख से अधिक किसानों की आय दोगुना करने पर भी फोकस

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Dehradun: अन्नदाता सशक्त होगा तो राज्य भी खुशहाल होगा। इसी सूत्रवाक्य पर चलते हुए धामी सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में खेती-किसानी पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में कृषि को अधिक महत्व दिया गया है तो बदली परिस्थितियों में जैविक खेती को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। बजट प्रविधानों में राज्य के नौ लाख से अधिक किसानों की चिंता को समाहित करते हुए वन्यजीवों से फसल सुरक्षा के साथ ही कृषि उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने को सरकार ने अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा है।

विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में कृषि पर्वतीय, मैदानी और घाटी वाले क्षेत्रों में विभक्त है। जिस तरह का विषम भूगोल है, उसी तरह की चुनौतियां भी कृषि के सामने हैं। यद्यपि, पिछले आठ वर्षों में खेती-किसानी के समक्ष खड़ी चुनौतियों से पार पाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई तमाम योजनाओं का लाभ उत्तराखंड को मिला है। इसे देखते हुए राज्य सरकार का भी विशेष फोकस खेती-किसानी पर है। धामी सरकार ने इसी कड़ी में कदम आगे बढ़ाए हैं।

वन्यजीवों से फसल सुरक्षा

खेती के सामने वन्यजीवों ने भी मुश्किल खड़ी की हुई है। मैदानी क्षेत्र हों अथवा पर्वतीय, सभी जगह वन्यजीव फसलों को चौपट कर रहे हैं। पहाड़ के गांवों से हो रहे पलायन के पीछे यह एक बड़ा कारण है। सरकार की ओर से बजट के लिए पूर्व में किए गए संवाद में किसानों की ओर से यह विषय प्रमुखता से रखा गया और सरकार ने बजट में इसके निदान को शीर्ष प्राथमिकता में रखा है।

कृषि उत्पादों का मिलेगा बेहतर दाम

किसानों को कृषि उत्पादों का बेहतर दाम मिले, इसके लिए बाजार की उपलब्धता आवश्यक है। इस कड़ी में सरकार ने स्थानीय फसलों का प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत बजट प्रविधान किया है। यही नहीं, राज्य के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने को जियोग्राफिकल इंडीकेशन टैग प्राप्त किए जा रहे हैं। साथ ही राज्य के लघु, सीमांत कृषकों और सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक कृषि यंत्रों की पहुंच बढ़ाने को फार्म मशीनरी बैंक, कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही क्लस्टर आधारित खेती को बढ़ावा देने पर फोकस किया गया है।

जैविक खेती को लगेंगे पंख

राज्य में खेती वैसे भी प्राकृतिक है और यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादित होने वाले पौष्टिक अनाज की मांग लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक कृषि अधिनियम लागू है। पिछले पांच वर्षों में जैविक खेती का दायरा बढ़कर 2.15 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो कुल कृषि क्षेत्रफल का 34 प्रतिशत है। चार हजार से ज्यादा जैविक क्लस्टर राज्य में संचालित हो रहे हैं। अब इस मुहिम को अधिक तेज करने का सरकार ने इरादा जताया है।

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