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बीमारी के इलाज में जहर गटकने को मजबूर लोग

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Haridwar : उत्तराखंड में आखिर किसकी शह पर नकली दवाओं का धंधा फलफूल रहा है, यह यक्ष प्रश्न है। बार-बार कार्रवाई के बाद भी धंधे पर लगाम नहीं लग पा रही है। मजबूरन लोग बीमारी के इलाज में जहर गटकने को मजबूर हैं। एक माह में दूसरी बार है, जब हरिद्वार में ही बड़ी मात्रा में नकली दवाएं पकड़ी गई हैं।

दरअसल, उत्तराखंड में यह एक दो कार्रवाई नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई बार नकली दवाएं पकड़ी गई हैं। वर्ष 2018 में हरिद्वार में ही कई इलाकों में पुलिस और अन्य विभागों ने नकली दवाओं का भंडाफोड़ किया था। उस वक्त भी करोड़ों रुपये का कच्चा माल बरामद हुआ था। साथ ही साल के शुरूआत में ऊधमसिंह नगर में बड़ी कार्रवाई की गई थी।

एसटीएफ ने तब भी करोड़ों की नकली दवाएं बनाने के मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था। बार-बार ऐसी कार्रवाई के बावजूद स्थानीय प्रशासन की इस पर कोई नजर नहीं है। किस गोदाम और दुकान में क्या संदिग्ध काम हो रहा, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। यहां लोगों की बीमारी ठीक करने का नहीं, बल्कि धीमा जहर तैयार किया जा रहा है।

जानकारों की मानें, तो बीते एक दशक में उत्तराखंड में दवा निर्माताओं ने अपनी फैक्टरियां खोली हैं। यहां पर बड़ी मात्रा में नामी कंपनियां कई दवाएं बना रही हैं। यहां काम सीखने के बाद कुछ लोग दवाएं बनाने की बारीकियों को समझ जाते हैं। इसके बाद असली साल्ट को न लेकर कुछ नकली मिलाकर हुबहू दवाएं बनाई जाती हैं। एसटीएफ भी कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

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