
Delhi: रैगिंग ऐसा जुर्म है, जिसके एक ओर जहां पीड़ित छात्र छात्राएं ने कई बार घातक कदम उठाए हैं तो वही आरोपी और दोषी छात्र-छात्राओं का भविष्य खराब हो जाता है। सरकार ने इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए कई नियम कानून भी बनाए हैं। इसके बाद भी कई बड़े और नामी गिरामी संस्थानों में इस तरह की शिकायतें अक्सर मिल जाती है। ताजा मामला पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में मेडिकल कॉलेज की प्रथम वर्ष की छात्रा के आरोप के बाद चर्चा में आया है जिससे परिसर के अंदर लगाता रैगिंग की घटनाओं का जिक्र हो जा रहा है।
जी हां इस पीड़ित छात्रा ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से भी पूरे मामले की शिकायत की है इसी साल इंदौर मेडिकल कॉलेज रतलाम स्थित शासकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ झारखंड के संथाल परगना मेडिकल कॉलेज के आदिवासी कल्याण छात्रावास में रैगिंग का मामला सामने आया है जिसको देखकर ऐसा लग रहा है कि तमाम तरह के कानूनों और नियमों के बाद भी इस तरह की घटनाएं कम नहीं हो रही है।
रैगिंग को एक अक्षम्य और अपराध की श्रेणी में गिना जाता है इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ-साथ कई राज्यों ने अपने स्तर से कानून बनाए हैं आज आपको बताने की कोशिश करते हैं कि आखिर अगेन क्या है और कितना ख़तरनाक है। दरअसल रैगिंग के चलते बच्चों का भविष्य खतरो में पड़ जाता है कैरियर खराब हो जाता है 2018 से 21 तक की कई ऐसे आंकड़े हैं जिन से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रैगिंग के चलते कई छात्रों ने अपना भविष्य खोया है