रिश्तों का कातिल: बेटियों का गला रेतकर सूना कर दिया आंगन, पड़ोसी की जुबानी सुन नहीं थमेंगे आंसू

Rishikesh:जो घर हमेशा बेटियों की हंसी से चहकता था वहां मंगलवार को मरघट सा सन्नाटा था। रविवार तक इस आंगन में बच्चों की हंसी ठिठोली गूंजती थी। तीनों बेटियां मकान के पीछे लगे झूले में झूलती थीं और खूब मस्ती करती थीं। स्कूल बस से उतरते ही अन्नपूर्णा हंसते गाते आती थी। घर के गेट पर अब पुलिस का ताला है। पड़ोसी बताते हैं कि अन्नपूर्णा बहुत ही प्यारी बच्ची थी। वह अपनी बातों से सबका दिल जीत लेती थी।
पड़ोसी बोले…
– महेश तिवारी का परिवार सात साल पहले इस मकान में रहने आया था। महेश किसी के घर आता जाता नहीं था। अपने परिवार को भी महेश किसी के सुख दुख में शामिल होने के लिए नहीं भेजता था। अधिकांश समय वह पूजा पाठ में बीताता था। – सुबोध जायसवाल।
महेश तिवारी अधिकांश समय अपने गेट के अंदर ही रहता था। वह अंधविश्वास ज्यादा करता था। इसीलिए उसने अपने आंगन में फूल के पौधे तक नहीं लगाए। बाहरी दुनिया से उसका लगाव कम था। वह परिवार और रिश्तेदारों तक ही सीमित था। – रक्षा कर्णवाल।
– महेश अपनी पत्नी नीतू को हमारे यहां कभी नहीं भेजता था। उसकी पत्नी छत से ही हमसे बात करती थी। केवल छोटी बेटी अन्नपूर्णा हमारे घर आती थी। महेश तिवारी ऐसा कदम उठाएगा किसी ने भी नहीं सोचा था। – गीता जायसवाल।
– महेश के घर में जब पीने का पानी नहीं आता था तब वह पानी लेने के लिए हमारे घर आता था। वह सम्मानजनक तरीके से पेश आता था। वह कई बार रात दो बजे तक पूजा करता रहता था। उसके पूजा घर की लाइट जलती रहती थी। – नत्थूराम।
महेश अपनी पत्नी को बाहर नहीं निकलने देता था। उसकी पत्नी महीने में कभी कभार ही बाहर दिखती थी। वह किसी से बात भी नहीं करने देता था। बच्चे बहुत अच्छे थे, कई बार बच्चे आवाज लगाते थे। – प्रेमकांता।