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Tiger Reserve: 72749 वर्ग किमी जमीन बाघ के नाम, खर्च हो रहे 34000 लाख रुपये, सीमा पार भी मिलती है सुरक्षा

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प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से आठ चीते भारत आ गए हैं। शनिवार को पीएम ने उन्हें मध्यप्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ दिया है। अब भारत की ‘कैट फैमिली’ में एक नया सदस्य ‘चीता’ जुड़ गया है। जंगल का राजा शेर, बाघ और तेंदुआ, अभी तक ये तीनों भारत की ‘कैट फेमिली’ में शामिल रहे हैं। वैसे तो देश में इस फैमिली का एक ही सदस्य यानी ‘बाघ’ राज करता है। देश में बाघों के लिए 72749 वर्ग किमी जमीन संरक्षित की गई है। अगर सालाना खर्च की बात करें, तो वह लगभग 34000 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। ‘कैट फैमिली’ की सुरक्षा को लेकर भी केंद्र सरकार बहुत सचेत रहती है। बाघ को कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं। अगर वह घूमता हुआ या शिकार के चक्कर में पड़ोसी देश विशेषकर नेपाल और भूटान की सीमा में घुस जाता है, तो उसे कोई हाथ नहीं लगा सकता। संबंधित देश, उसे सम्मान सहित वापस लौटाएगा।

इन 50 रिजर्व में चलता है ‘बाघ’

देश में 50 बाघ रिजर्व बनाए गए हैं। इनमें प्रमुख तौर से बांदीपुर, कॉर्बेट, अमानगढ़, मेलघाट, पलामू, रणथंभौर, सुंदरवन, पेरियार, सरिस्का, बक्सा, नमदक, दुधवा, कालकाद मुंडनथुराई, बांधवगढ़, पन्ना, डम्पा, नमेरी, काजीरंगा, नागरहोल, पराम्बिकुलम, सहयाद्रि, अमरबद, बोर, ओरंग व कमलंग बाघ रिजर्व शामिल हैं। इन रिजर्व में कोर/क्रिटिकल बाघ पर्यावास क्षेत्र के अलावा बफर/पेरिफेरल क्षेत्र को शामिल किया जाता है। इन सभी 50 रिजर्व का कोर/क्रिटिकल बाघ पर्यावास क्षेत्र करीब 40145.30 वर्ग किलोमीटर है, जबकि बफर/पेरिफेरल क्षेत्र 32603.72 वर्ग किलोमीटर है। देश में 2020 के दौरान एशियाई शेरों की संख्या 674 रही है। 2018 में 2967 बाघ मौजूद रहे हैं। 2017 में हाथियों की संख्या 29964 रही है

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