फतेहपुर के जंगल में बाघ को ट्रैंक्यूलाइज किया गया


रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज में दिसंबर से 18 मई तक सात लोग वन्यजीव के हमले में मारे जा चुके थे। इससे लोगों में काफी रोष था। वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई थी। जामनगर से भी प्रशिक्षित टीम को बुलाया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। करीब छह महीने की कोशिश के बाद मंगलवार की शाम को टीम को सफलता मिल गई। जहां पर कुछ दिन पूर्व बाघ ने फतेहपुर रेंज के काठगोदाम कक्ष संख्या- एक में एक बुजुर्ग महिला को मारा था, उससे करीब तीन किमी और जंगल के अंदर बाघ के मूवमेंट का पता चला था।
इसके बाद पशु चिकित्सक और वन विभाग की टीम पहुंची। टीम ने ट्रैंक्यूलाइज कर बाघ को काबू किया। रामनगर वन प्रभाग डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि बाघ को काबू कर लिया गया है, जिसे नैनीताल चिड़ियाघर भेजा गया है। पशु चिकित्सक की टीम बाघ का परीक्षण करेगी। इसके बाद बाघ को लेकर और स्थितियां साफ होने की उम्मीद है।
सुबह से टीम मौके की तलाश में थी
हल्द्वानी। जहां पर बाघ को ट्रैंक्यूलाइज किया गया है, वहां पर बाघ का मूवमेंट सुबह वन विभाग को मिला था। इसके बाद टीम मौके की तलाश में थी। ऐसे में जैसे ही बाघ दिखाई दिया, उसके बाद टीम ने सुरक्षित दूरी पर बाघ को ट्रैंक्यूलाइज गन से डाट मार कर बेहोश कर दिया। फतेहपुर रेंज के आरओ केआर आर्या ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए काफी समय से कोशिश चल रही थी। अब बाघ को काबू कर लिया गया है। ज्ञात हो कि बाघ को पकड़ने के लिए र्कई महीने से बचाव अभियान चलाया जा रहा था। कई रेंजों टीम को तैनात किया गया था। आधुनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी।
गोपनीय रखा गया ऑपरेशन
हल्द्वानी। वन विभाग के सामने बाघ को बेहोश कर सुरक्षित ऑपरेशन पूरा करने की चुनौती थी, ऐसे में आपरेशन को गोपनीय रखा गया। जब बाघ को निकाला गया, उसके बाद चर्चा तेजी से फैली और लोगों के फोन घनघनाने लगे। सभी बाघ के पकड़े जाने के बारे में जानकारी मांग रहे थे।